BHOOT KI KAHANI NO FURTHER A MYSTERY

bhoot ki kahani No Further a Mystery

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Bhoot ki kahani

दुनियाँ में जिस तरह पवित्र और धार्मिक शक्तियों का अस्तित्व और महात्म्य है, उसी तरह आसुरी शक्ति, भूत प्रेत, और मैली विद्या, की पूजा करने वाले, और उसमे मानने वाले लोगो की भी कमी नहीं है। इक्कीसवी सदी में सांस लेने वाली दुनियाँ के कुछ लोग आज भी भूत प्रेत – और अतृप्त आत्मा, के अपने आस-पास होने का भास करते हैं।

जैसे ही श्राप उठा, वह आत्मा राम और सोनू को उनकी बहादुरी और दया के लिए धन्यवाद दिया, और उस गुफा को छोड़कर हमेशा के लिए चली गई। कुत्ता, जो अब श्राप से मुक्त हो गया था, उसने अपनी पूंछ को कृतज्ञतापूर्वक हिलाकर राम और सोनू को धन्यवाद दिया।

पमिनाबहन और उनकी बेटी अपना सामान बांधने लगीं। तभी उनके पड़ोसी शांताबहन आयीं और समझया कि घर छोड़ कर जाना कोई उपाय नहीं है, समस्या से भागने की बजाय उसका सामना करना चाहिए।

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लेकिन मेरे साथ कुछ गलत नहीं हुआ। और मेरे पापा ने वह बंगला ही बदल दिया । और हम लोग फ्लैट में रहने चले गए। हमारे बाद उस बंगले में हमारे जान पहचान वाले लोग रहने आ गए उनका छोटा बेटा हमारा बड़ा अच्छा मित्र था। एक बार वह हमसे मिलने हमारे घर आया। और हम से पूछने लगा कि एक बात मैं तुमसे पूछ रहा हूं।

तो मैंने देखा कि जैसे कोई सफेद साड़ी पहनकर,बाल खोलकर,लाल कलर की लाली लगाकर, जोर-जोर से हंस रही थी। मैने डर के मारे आंख नीचे कर लि.और नीचे देखने लगी। तभी कोई के चिल्लाने की आवाज आई.

दमयंती....... एक किन्नर का बदला अर्चना भालेराव "प्राहेहल"

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एक दिन, गौरब के दोस्तों ने उसे गांव की सीमा के बाहर एक पुराने सुनसान घर पर जाने के लिए उकसाया। उनके दोस्तों ने कहा कि उस घर में कई साल पहले मौत हो गई एक महिला की भूत घूमती है। उसने अपने दोस्तों की बात मान ली और उस घर में जाने के लिए राजी हो गया।

“हिन्दू धर्म शास्त्रो के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति का मोह मरने के बाद किसी वस्तु में रह जाए तो उसके छुटकारे के लिए जरूरत मंद व्यक्तियों को दान दिया जाता है, और अतृप्त व्यक्ति की आत्मा के छुटकारे के लिए खास पूजा-अर्चना और शांति पाठ किए जाते हैं।”

इस पर मुझे उस गांव के आस पास लोगो ने जो बात बताई वो एकदम अपने आप से चौंका देने वाली थी ।

, लेकिन फिर से ऐसा हुआ तो वह चौंक कर उठ गया। उसने चारों तरफ देखा तो वहां कोई भी नहीं था। रमेश को लगा कि उसने फिर से कोई बुरा सपना देखा है। रमेश यह सब सोच ही रहा था कि उसे पायल की आवाज आई। उसने चारों तरफ देखा तो उसे एक लड़की जाती हुई दिखी। रमेश उस लड़की को आवाज देकर रोकने लगा। रुको, अरे सुनो, रुको। वह जैसे ही उस लड़की के पास गया तो वह लड़की गायब हो गई थी। रमेश इस बार घबरा गया था। उसके माथे का पसीना साफ साफ बता रहा था कि वह बुरी तरह से डर गया है।

"तो नंदिनी केसा लगा हमारा नया घर?" आशितोष अपनी पत्नी नंदिनी से पूछता है। नंदिनी नये घर के लिविंग रूम के पुराने फर्नीचर को देखते हुए कहती है। "घर तो काफ़ी अच्छा है। बस ये फर्नीचर थोड़ा पुराना है। मुझे ...

रमेश छलावे का नाम सुनकर बुरी तरह से कांप उठा। वह जल्दी से स्टेशन से भागने लगा। प्रसाद ने उसे समझाया कि ऐसे भागने से कोई फायदा नहीं है। बस इन सबका एक ही इलाज है कि जब भी तुम्हारा ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश करें तो तुम्हें इन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना है और छलावे से बातें तो बिल्कुल भी नहीं अपनी आंखें मली। उसे फिर भी वह आदमी धुंधला ही दिखाई दे रहा था।

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